बोल्ड बजट में छुपे हैं बवाल के भी बीज, सड़क से संसद तक विरोध के आसार
सरकार ने बीमा क्षेत्र में 74 फीसदी के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, एलआईसी के आईपीओ, दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की इजाजत देकर विपक्ष को विरोध के नए मसले दे.दिए हैं. इन मसलों पर संसद में जमकर हंगामा हो सकता है.
विपक्ष का आरोप है कि सरकार निजीकरण और एसेट मॉनिटाइजेशन के द्वारा अपने पुरखों की पसीने की कमाई से बनाई हुई जायदाद को बेच रही है.
निजीकरण पर हो सकता है हंगामा
अभी कृषि कानूनों को लेकर बवाल चल ही रहा था कि सरकार ने बीमा क्षेत्र में 74 फीसदी के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, एलआईसी के आईपीओ, दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की इजाजत देकर विपक्ष को विरोध के नए मसले दे दिए हैं. इन मसलों पर संसद में जमकर हंगाम हो सकता है, क्योंकि इनके लिए कानून में बदलाव करने होंगे और संसद की मंजूरी लेनी होगी.
फ्लोर मैनेजमेंट की जरूरत
सरकार के पास संसद में संख्याबल पर्याप्त जरूर है, लेकिन कानूनों में बदलाव को पारित कराने के लिए बेहतर फ्लोर मैनेजमेंट की भी जरूरत होगी.
विपक्ष ने आरोप लगाया है कि सरकार 'क्रोनी कैपिटलिज्म का खुला उदाहरण पेश करते हुए अपने कॉरपोरेट दोस्तों को फायदा पहुंचा रही है.' गौरतलब है सरकार पहले ही.किसानों के मामले में कॉरपोरेट का हिमायती होने के आरोप से परेशान है.
ध्यान रहे कि साल 2014 में एक बार भूमि अधग्रहण के कानून में बदलाव पर ऐसे ही आरोपों और विपक्ष के कड़े विरोध की वजह से मोदी सरकार को पीछे हटना पड़ा था.
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