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भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा को मिली अनुमति, इस शख्स का शुक्रिया अदा कर रहे लोग


सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा के पुरी में होने वाली भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा को अनुमति दे दी है। पहले कोर्ट ने कोरोना वायरस संकट को देखते हुए इस साल रथ यात्रा पर रोक लगाने का फैसला किया था। कोर्ट के इस आदेश को बदलने के लिए पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी। कोर्ट के आदेश को बदले में प्रसिद्ध अधिवक्ता हरीश साल्वे की अहम भूमिका रही। वह ओडिशा सरकार की ओर से कोर्ट में पेश हुए थे।
जानिए कौन हैं हरीश साल्वे जिन्होंने ...
हरीश साल्वे - फोटो : फाइल


कई चर्चित मुकदमों को लेकर सुर्खियों में रहे साल्वे की दलीलों ने कोर्ट का मन बदला और रथ यात्रा को कुछ नियमों के साथ अनुमति मिल गई। इस फैसले के बाद से ओडिशा के लोग हरीश साल्वे को धन्यवाद कह रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि साल्वे की बदौलत ही रथ यात्रा की अनुमति मिल पाई है। पुरी के शंकराचार्य से लेकर जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने कोर्ट के रथ यात्रा रोकने के फैसले पर आपत्ति जताई थी।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ओडिशा सरकार की ओर से साल्वे ने कहा कि यात्रा पूरे राज्य में नहीं होगी। जहां-जहां यात्रा होगी वहां कर्फ्यू लगा दिया जाए और यात्रा में केवल ऐसे सेवादार और पुजारी ही शामिल हों, जिनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव हो। वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि लोगों के स्वास्थ्य के साथ समझौता किए बगैर रथ यात्रा की जा सकती है, इसलिए यात्रा की अनुमति दी जानी चाहिए।

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एक रुपया लेकर लड़ा था कुलभूषण जाधव का केस
नीदरलैंड के द हेग की अतंरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में कुलभूषण जाधव मामले में पाकिस्तान को चित करने वाले हरीश साल्वे ने जाधव की फांसी पर रोक लगाने में कामयाबी हासिल की थी। इस मुकदमे की सबसे खास बात यह रही थी कि साल्वे ने पाकिस्तान की जेल में कैद जाधव का केस लड़ने के लिए फीस के तौर पर महज एक रुपये लिया था। साल्वे के तर्कों के कारण ही आईसीजे ने 15-1 से भारत के पक्ष में फैसला सुनाया था।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थीं चार याचिकाएं
सुप्रीम कोर्ट द्वारा रथ यात्रा की अनुमति नहीं मिलने के फैसले पर फिर से विचार करने के लिए चार याचिकाएं डाली गई थीं। शीर्ष अदालत ने 18 जून को सुनवाई के दौरान कहा था कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के हित को ध्यान में रखते हुए इस साल पुरी में रथ यात्रा की अनुमति नहीं दी जा सकती। मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि अगर हम इस साल रथ यात्रा आयोजित होने देते तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करते।

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