जॉर्ज फ्लायड की मौत के बाद डोनाल्ड ट्रंप का दूसरी बार राष्ट्रपति बनना कितना मुश्किल
पिछले कुछ सप्ताह डोनाल्ड ट्रंप के लिए मुश्किल भरे साबित हुए हैं. बुरी खबरों के बीच उन्हें अपने चुनाव प्रचार में उतरना पड़ रहा है, इससे उनका चुनावी अभियान भी प्रभावित हो रहा है. ऐसा लग रहा है कि बतौर राष्ट्रपति वे लगातार संकटों से घिरते जा रहे है. ऐसे समय में उनके दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने की उम्मीदें गंभीर संकट में दिख रही हैं.
डोनाल्ड ट्रंप एक सहज राजनेता है. चार साल पहले वे चुनावी समर में कूदे और सभी अनुमानों और भविष्यवाणियों को किनारे करते हुए पहले उन्होंने अपनी पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के नामांकन वाली रेस जीती और इसके बाद अमरीका के राष्ट्रपति का चुनाव भी जीत लिया.
कहने की जरूरत नहीं है, ऐसी उपलब्धि से किसी भी शख्स को अपने फ़ैसले पर फख्ऱ होगा. उन पलों को जब ट्रंप याद करते होंगे तो उन्हें सहज जुलाई, 2015 का वक्त याद आता होगा जहां वे विवादों, लोगों के नाम लेकर उन पर आरोप लगाने, विवादों, असंयमित ट्वीटों और उससे जुड़े विवादों को लेकर वे राष्ट्रपति पद से दूर दिखने लगे थे लेकिन वहां से वापसी करते हुए वे शीर्ष पद तक पहुंच गए.
तब सारे के सारे विशेषज्ञ ग़लत साबित हुए थे और डोनाल्ड ट्रंप सही.
बड़े फ़ैसलों को लेकर ट्रंप निश्चित तौर पर सही थी. वे चुनाव के दौरान एक बाहरी शख़्स के तौर पर रेस में शामिल हुए थे जबकि अमरीका के आम लोगों का मूड राजनीतिक प्रतिष्ठानों के ख़िलाफ़ दिख रहा था. ट्रंप ने इस मूड को भांप लिया और इसको भुनाया भी. हालांकि हो सकता है कि उस दौरान की उनकी ग़लतियों और गलत फैसलों को उनकी कामयाबी ने ढक दिया हो.